अश्वगंधा के फायदे पुरुषों के लिए


अश्‍वगंधा है क्या ? (What is Ashwagandha?)

अश्‍वगंधा के अलग-अलग  कई प्रकार  होते हैं,  असली अश्वगंधा की पहचान करने के लिए पौधों को मसलने पर घोड़े के पेशाबमल  जैसे बदबू आती है। अश्वगंधा में यह गंध बहुत  तेज होती है। खेती के माध्‍यम से उगाए जाने वाले अश्‍वगंधा की qualitie अच्‍छी होती है। तरल पधार्थ  उत्पन करने  के लिए जंगलो  में पाया जाने वाला अश्‍वगंधा का छोटा  पौधा ही ठीक  माना जाता है। इसके दो प्रकार हैं(There Are Two Many Kind)-




पहला प्रकार-  छोटी असगंध(Small Ashwagandh)

इसका  पौधा   छोटा होने से यह छोटी असगंध कहलाती है, एक तरह से देखा जाए तो इसकी जड़ बड़ी होती है। राजस्‍थान के नागौर में यह बहुत ज्यादा तादात में मिलती है और वहां के जलवायु के प्रभाव से यह विशेष प्रभावशाली होती है। इसका दूसरा नाम  नागौरी असगंध भी कहते हैं।



दूसरा प्रकार - बड़ी  या देशी असगंध( Big Ashwagandha) (अश्वगंधा)

इसका पौधा बड़ा होता है, पर  जड़ें थोडा छोटा  और पतला  होता है। यह सभी जगह बाग-बगीचों, खेतों और पहाड़ी स्थानों में सामान्य रूप में पाई जाती है। असगंध में कब्‍ज गुणों की उपचार  होने से और उसकी गंध कुछ घोड़े के पेशाब जैसी होने से पुरानि  संस्कृत में इसको  घोड़े से रिलेटेड  नाम रखाए  गए हैं।  


बाहरी आवरण  (Structure)

मार्किट  में अश्‍वगंधा दो रूप में  मिलती हैंः-

पहली मूल - अश्‍वगंधा Withania somnifera (Linn.)

दूसरी काकनज  - Withania coagulans (Stocks) Duanl, जो लगभग 1.2 मीटर तक ऊंचा,तना वाला होता है।




बहुत सी  भाषाओं में अश्‍वगंधा के नाम (Ashwagandha Called in Different Languages)

अश्‍वगंधा को लोग साधारण भाषा  में असगंध के नाम  पर जानते हैं, परन्तु कई   देश-विदेश में इसको अनके  नामो से जाना जाता है। अश्‍वगंधा का का वानस्पतिक नाम (Botanical name) Withania somnifera (L.) Dunal (विथेनिआ सॉम्नीफेरा) Syn-Physalis somnifera Linn. है और अश्वगंधा के  बहुत से  अन्य नाम ये हैंः-




Ashwagandha in:-

  • Hindi (ashwagandha in hindi) – असगन्ध, अश्वगन्धा, पुनीर, नागोरी असगन्ध
  • English – Winter cherry  (विंटर चेरी), पॉयजनस गूज्बेर्री (Poisonous gooseberry)  
  • Sanskrit – वराहकर्णी, वरदा, बलदा, कुष्ठगन्धिनी, अश्वगंधा
  • Oriya – असुंध (Asugandha)
  • Urdu – असगंधनागोरी (Asgandanagori)
  • Kannada – अमनगुरा (Amangura), विरेमङड्लनागड्डी (Viremaddlnagaddi)
  • Gujarati – आसन्ध (Aasandh), घोडासोडा (Ghodasoda), असोड़ा (Asoda)
  • Tamil – चुवदिग (Chuvdig), अमुक्किरा (Amukkira), अम्कुंग (Amkulang)
  • Telugu – पैन्नेरुगड्डु (Panerugaddu), आंड्रा (Andra), अश्वगन्धी (Ashwagandhi)
  • Bengali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
  • Nepali – अश्वगन्धा (Ashwagandha)
  • Punjabi – असगंद (Asgand)
  • Malyalam – अमुक्कुरम (Amukkuram)
  • Marathi (ashwagandha in marathi) – असकन्धा (Askandha), टिल्लि (Tilli)
  • Arabic – तुख्मे हयात (Tukhme hayat), काकनजे हिन्दी (Kaknaje hindi)
  • Farasi – मेहरनानबरारी (Mehernanbarari), असगंध-ए-नागौरी (Ashgandh-e-nagori)



  • अश्‍वगंधा के फायदे (Ashwagandha Benefits and Uses in Hindi)

    आयुर्वेद में अश्‍वगंधा का इस्‍तेमाल अश्वगंधा के पत्‍ते, अश्वगंधा चूर्ण (Ashwagandha Powder) के रुप में किया जाता है।  अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) जितने अनगिनत हैं उतने ही अश्वगंधा के नुकसान भी है क्योंकि चिकित्सक के बिना सलाह के सेवन करने से शारीरिक अवस्था खराब हो सकती है। कई रोगों में आश्‍चर्यजनक रूप से लाभकारी अश्वगंधा का औषधीय इस्तेमाल करना चाहिए, चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

    सफेद बाल की समस्या में अश्वगंधा के फायदे (Use Ashwagandha Powder to Stop Gray Hair Problem in Hindi)

    2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण (Ashgandha Churn benefits) का सेवन करें। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi)के वजह से समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या ठीक होती है।

    आंखों की ज्‍योति बढ़ाए अश्‍वगंधा  (Ashwagandha Benefits in Increasing Eyesight in Hindi)

    2 ग्राम अश्‍वगंधा, 2 ग्राम आंवला (धात्री फल) और 1 ग्राम मुलेठी को आपस में मिलाकर, पीसकर अश्वगंधा चूर्ण कर लें। एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को सबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रौशनी बढ़ती है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) के कारण आँखों को आराम मिलता है।


    गले के रोग (गलगंड) में अश्वगंधा के पत्ते के फायदे (Ashwagandha Uses to Cure Goiter in Hindi)

    अश्वगंधा के फायदे के कारण और औषधीय गुणों के वजह से अश्वगंधा गले के रोग में लाभकारी सिद्ध होता है।

    अश्‍वगंधा पाउडर (ashwagandha powder benefits) तथा पुराने गुड़ को बराबार मात्रा में मिलाकर 1/2-1 ग्राम की वटी बना लें। इसे सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करें। अश्‍वगंधा के पत्‍ते का पेस्‍ट तैयार करें। इसका गण्डमाला पर लेप करें। इससे गलगंड में लाभ होता है।

    टीबी रोग में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग (Ashwagandha Benefits in Tuberculosis (T.B.) Treatment in Hindi)

    अश्‍वगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को असगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ सेवन करें। इससे टीबी में लाभ होता है। अश्‍वगंधा की जड़ से चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिला लें। इसका सेवन करने से टीबी (क्षय रोग) में लाभ होता है। अश्वगंधा के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) टीबी के लिए उपचारस्वरुप


    अश्वगंधा के इस्तेमाल से खांसी का इलाज (Ashwagandha Uses in Getting Relief from Cough in Hindi)

    असगंधा की 10 ग्राम जड़ों को कूट लें। इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीग्राम पानी में पकाएं। जब इसका आठवां हिस्सा रह जाए तो आंच बंद कर दें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात से होने वाले कफ की समस्या में विशेष लाभ होता है।

    असगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा लें। इसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च तथा ढाई ग्राम सैंधा नमक मिला लें। इसकी 500 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है। टीबी के कारण से होने वाली खांसी में भी यह विशेष लाभदायक है। अश्वगंधा के फायदे खांसी से आराम दिलाने में उपचारस्वरुप काम करता है।

    छाती के दर्द में अश्वगंधा के लाभ (Ashwagandha Powder Helps getting Relief from Chest Pain in Hindi)

    अश्‍वगंधा की जड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा का जल के साथ सेवन करें। इससे सीने के दर्द में लाभ (ashwagandha powder benefits) होता है।

    पेट की बीमारी में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग (Ashwagandha Churna Cures Abdominal or Intestinal Worms in Hindi)

    अश्वगंधा चूर्ण के फायदे (ashwagandha benefits in hindi) आप पेट के रोग में भी ले सकते हैं। पेट की बीमारी में आप अश्वगंधा चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। अश्‍वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में बहेड़ा चूर्ण मिला लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म  होते हैं।  

    अश्‍वगंधा चूर्ण में बराबर भाग में गिलोय का चूर्ण मिला लें। इसे 5-10 ग्राम शहद के साथ नियमित सेवन करें। इससे पेट के कीड़ों का उपचार होता है। 


     

    इस्तेमाल के लिए अश्‍वगंधा के उपयोगी हिस्से (Useful Parts of Ashwagandha)

    • पत्‍ते
    • जड़
    • फल
    • बीज

    अश्वगंधा से जुड़ी विशेष जानकारी  बाजारों में जो असगंधा बिकती है उसमें काकनज की जड़े मिली हुई होती हैं। कुछ लोग इसे देशी असगंध भी कहते हैं। काकनज की जड़ें असगंधा से कम गुण वाली होती हैं। जंगली अश्‍वगंधा का बाहरी प्रयोग ज्यादा होता है।

    अश्वगंधा का सेवन कैसे करें (How Much to Consume Ashwagandha)

    अश्वगंधा का सही लाभ पाने के लिए अश्वगंधा का सेवन कैसे करें ये पता होना ज़रूरी होता है। अश्वगंधा के सही फायदा पाने और नुकसान से बचने के लिए चिकित्सक के परामर्श के अनुसार सेवन करना चाहिए-

    • जड़ का चूर्ण – 2-4 ग्राम
    • काढ़ा – 10-30 मिलीग्राम

    अश्वगंधा से नुकसान (Ashwagandha Side Effects)

    गर्म शरीर  वाले व्‍यक्ति के लिए अश्‍वगंधा का प्रयोग से नुकसान हो सकता है।

    अश्‍वगंधा के नुकसान को  घी के सेवन से ठीक किया जाता है।

    अश्‍वगंधा कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Ashwagandha Found or Grown?)सम्पूर्ण  भारत में और खासकर सूखे प्रदेशों में अश्‍वगंधा का पौधा पाए जाते हैं। ये खुद से ही  अपने आप उगते हैं।  बहुत सी जगहों पर इसकी खेती भी की जाती है। ये जंगलो  में मिल जाते हैं। अश्‍वगंघा के पौधे बहुत ऊँचे  2000-2500 मीटर की ऊंचाई तक पाए जाते हैं।


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